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10 लाख के दो माओवादियों ने गरियाबंद पुलिस के सामने किया आत्मसमर्पण

गरियाबंद,(तरुण नागेश)। नक्सल मोर्चे पर गरियाबंद पुलिस को एक और बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। पुलिस की प्रभावी “पूना मोद्दोल (नया सवेरा) पुनर्वास नीति” से प्रभावित होकर संगठन के दो इनामी नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। दोनों पर पांच-पांच लाख रुपए का इनाम घोषित था और वह नक्सली संगठन में एरिया कमेटी मेंबर ACM के पद पर सक्रिय थे। आत्मसमर्पण करने वालों में पुरुष और एक महिला नक्सली शामिल है।

दोनों ने आज गरियाबंद के उप पुलिस अधीक्षक के समक्ष में आत्मसमर्पण किया। एसडीके एरिया कमेटी सदस्य संतोष उर्फ लाल पवन, जो वर्ष 2010 से जिले के सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय रहा।

सिनापाली एरिया कमेटी सदस्य मंजू उर्फ नंदे जो 2010 से सक्रिय रहा, दोनों नक्सलियों के ऊपर शासन द्वारा पांच-पांच लाख का इनाम घोषित किया गया था। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक दोनों नक्सली लंबे समय से जंगलों में सक्रिय थे लेकिन सरकार और पुलिस की भरोसे पर आधारित पुनर्वास नीति ने उन्हें हिंसा का रास्ता छोड़ने के लिए प्रेरित किया।

नक्सल मोर्चे पर ऐतिहासिक सफलता: इस आत्म समर्पण के साथ ही नक्शल विरोधी अभियान ने नया कृतिमान स्थापित किया है। गरियाबंद जिला वर्ष 2025 में अब तक 20 नक्सली कर चुके हैं सरेण्डर।

गरियाबंद पुलिस की पूना मोद्दोल नीति का मूल उद्देश्य हथियार नहीं बल्कि भरोसा है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सुरक्षा, सम्मानजनक जीवन, सरकारी योजनाओं का लाभ और समाज के मुख्य धारा से जुड़ने का अवसर दिया जाता है।

इसी नीति के चलते नक्सली संगठन के भीतर असंतोष बढ़ रहा है और लगातार सदस्य हिंसा छोड़ने का निर्णय ले रहे हैं।
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पुलिस अधीक्षक ने कहा कि लगातार बढ़ते आत्मसमर्पण यह साबित करते हैं कि नक्सल मोर्चे पर पुलिस की रणनीति पूरी तरह सफल हो रही है और नक्शल संगठन की कमर टूट रही है अपील की कि वह हथियार छोड़कर मुख्यधारा में और सम्मानजनक जीवन की शुरुआत करें

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